ज़िला मैनपुरी/निस्वार्थ भाव से किया गया हर कार्य बन जाता पूजा तन पवित्र सेवा किये धन पवित्र का परमार्थ,अमर साहेब कबीर आश्रम पर हुआ सत्संग रविवार को कबीर आश्रम पर हुए सत्संग में आश्रम के महंत अमर साहेब ने बताया कि सेवा के निस्वार्थ भाव में किया हुआ हरकार्य पूजा बन जाता है ।
महन्त बताते हैं कि
तन पवित्र सेवा किए धन पवित्र कर परमार्थ ,
मन पवित्र तब होत है तज दे मन का स्वार्थ।
कहा गया है कि मन इंद्रियों का स्वार्थ ही सब भव बंधन का कारण है। स्वार्थ सच्चे आत्मीयता के प्रेम के लिए खटाई की तरह से है ,दस मन दूध एकत्रित किया जाए और उसमें थोड़ी खटाई डाल दी जाए तो सारा दूध खराब हो जाएगा ऐसे ही कितना ही गाड़ा प्रेम हो आपस में जहां एक तरफ स्वार्थपरता आई बरसों पुराना संबंध और प्रेम श्रद्धा सब खत्म हो जाएगी ।जब हमारा मन इच्छाओ और वासनाओं के वशीभूत ना होकर शुद्ध आत्मा के तल पर जीना आ जाएगा तो हमारे तन से निस्वार्थ सेवा भाव आकर मन के अंदर त्याग भाव जागृत हो जाएगा। त्याग बाहर से थोपने की चीज नहीं है जब मन में त्याग भाव जागृत हो जाता है तो संसार की हर वस्तु निस्सार हर संबंध क्षणिक झूठा लगने लगता तथा अपने हृदय में घट घट रमैया राम दिखाई देने लगता ।तन श्रमी हो मन सयमी हो तथा आत्मा राम के भाव में लीनता के साथ पवित्र व्यवहार के द्वारा सबको शांति प्रदान करता हो तो उसका जीवन स्व और पर के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो सकता है इसीलिए भजन की सच्चाई निरंतर बुराइयों से भागने में है, गलत आदतों को सुधार लेना ही मन को संसार से मोड़कर सत्य आत्मा परमात्मा मैं स्थिर कर लेना ही तो भजन है ।अपनी आत्म स्थिति खोज कर और उसमें स्थिति होने का नाम ही भक्ति है तथा अपना मन पवित्र निर्मल और संकल्प शून्य स्थिति में होकर निर्बिषय होने का नाम ही ध्यान है। सत्संग अवसर पर तमाम संत भक्त मौजूद रहे।
रिपोर्टर अमित कौशिक
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